ई-लेखा

जाल मंच पर ई-लेख प्रकाशन का दूसरा प्रयास ।

Thursday, April 13, 2006

आरक्षण

भारत में रहना अब और भी चैलेंचिंग होने वाला है ।
सरकार अब शिक्षण संस्थाओं में 50 प्रतिशत आरक्षण करने वाली है ।
तो अब हमारे छोटे भाई बहन जो जी तोड मेहनत कर रहे हैं, मूर्ख हैं ।
क्योंकि कोई उससे कम योग्य होते हुए भी जाति के आधार पर प्रवेश पा लेगा ।

क्या ये करने से देश व समाज का भला होगा ?
या जातिवाद, घूसघोरी को बढावा मिलेगा ।
यह कदम सिस्टम को मजबूत करेगा या उसे और कमजोर करेगा ?

मेरा मानना है कि जिनके पास साधन नहीं है पर प्रतिभा है, उन्हें साधन प्रदान किए जाने चाहिए, चाहे वो किसी भी जाति के हों । पर परीक्षा में चयन सिर्फ योग्यता पर होना चाहिए ।
मतलब सरकार व समाज पढाई के लिए जो हो सकता है करे, ट्यूशन फीस माफ करे, किताबों का इन्तजाम करे, कोचिंग की व्यवस्था करे और एक ऐसा सहयोग दे कि साधनाभाव का एहसास न हो ।


आप क्या सोचते हैं ?

4 Comments:

  • At 12:24 pm, Blogger Ashish Shrivastava said…

    ये तो बस एक नयी शुरूवात है। यदि यह कदम वापिस नही लिया गया तो अगली सुची मे सेना और निजी क्षेत्र भी होंगें ।

    आंबेडकर मे संविधान मे आरक्षण का प्रावधान सिर्फ १० साल के लिये किया था अब ५७ साल हो गये हैं ।जो आरक्षण पिछ्ले ५७ साल मे कुछ नही कर पाया वह अब क्या कर लेगा ।

    मैने कुछ और यहां पर भी लिखा है।

     
  • At 1:14 pm, Blogger Yugal said…

    आरक्षण का आधार आर्थिक होना चाहिये। चाहे किसी भी जाति का हो परंतु निर्धन को आरक्षण मिलना चाहिये।

     
  • At 6:25 pm, Blogger संजय बेंगाणी said…

    समाजवाद से जो रह गया, वह रहा सहा बंटाधार आरक्षण पूरा कर देगा.
    सेना और निजी क्षेत्र में आरक्षण का सोच कर ही रूह काँप जाती हैं.
    हे भगवान! इस देश ने तुम्हारा क्या बिगाङा हैं, इन नेताओं को अपने पास बुला ले.

     
  • At 3:15 pm, Blogger vijay said…

    देश की किसी भी राजनीतक पार्टी के किसी भी नेता
    को आरक्षण के बारे बोलने पर उसकी जुबान को
    लकवा मर जाता है/ उसे सिर्फ अपने राजनीतक
    भविष की चिंता है / पर देश की चिता नहीं/ इस
    के लिए इन पर कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए
    ६० सालों में देश का सत्य नाश के के रख दिया
    है इस आरक्षण ने /
    विजय तिवारी लुधिआना
    dapldh@yahoo.co.in

     

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