पद बड़ा कि कार्य
हाल ही में इंडिया टुडे में एक लेख आया है कि हैदराबाद के पूर्व पुलिस कमिश्नर रैड्डी ने सरकार के खिलाफ कोर्ट केस किया है ।
आप कहेंगे उसमें नया क्या है , रोज ही होता है ।
नया है कारण और उससे ज्ञात होता देश के रहनुमाओं का स्वार्थ।
कारण है, प्रोटोकोल । यानि राष्ट्रपति जब आऐं तो हाथ मिलाते की कतार में आप कहाँ खड़े हैं ।
कौन कहाँ खडा़ होगा इस बात पर बवाल ।
कुछ समय पहले कोई और इनके आगे खडा़ हो गया जो गलत था और उसकी शिकायत भी हुई ।
पर फिर से वही बात दुहराई गई तो रैड्डी ने दूसरे को धक्का दे खुद को आगे किया ।
चीफ सैकेट्री ने नाराज हो, रैड्डी को चिट्ठी भेज दी । रैड्डी ने कहा, तुम कौन ।
बस, चीफ सैकेट्री बुरा मान गये और रैड्डी को रिटायरमेंट से दस दिन पहले तबादिल कर दिया, बिना आँध्र प्रदेश के डी जी पी को बताए ।
रैड्डी ने केस ठोक दिया ।
आँध्र प्रदेश आजकल नक्सली समस्या से झूज रहा है और कई लोग मारे जा चुके है ।
पर इन बाबूज़ को कौन समझाए । इनका क्या जा रहा है । प्रोटोकोल ज्यादा जरूरी है ।
एक्जैक्टली ।।
आप कहेंगे उसमें नया क्या है , रोज ही होता है ।
नया है कारण और उससे ज्ञात होता देश के रहनुमाओं का स्वार्थ।
कारण है, प्रोटोकोल । यानि राष्ट्रपति जब आऐं तो हाथ मिलाते की कतार में आप कहाँ खड़े हैं ।
कौन कहाँ खडा़ होगा इस बात पर बवाल ।
कुछ समय पहले कोई और इनके आगे खडा़ हो गया जो गलत था और उसकी शिकायत भी हुई ।
पर फिर से वही बात दुहराई गई तो रैड्डी ने दूसरे को धक्का दे खुद को आगे किया ।
चीफ सैकेट्री ने नाराज हो, रैड्डी को चिट्ठी भेज दी । रैड्डी ने कहा, तुम कौन ।
बस, चीफ सैकेट्री बुरा मान गये और रैड्डी को रिटायरमेंट से दस दिन पहले तबादिल कर दिया, बिना आँध्र प्रदेश के डी जी पी को बताए ।
रैड्डी ने केस ठोक दिया ।
आँध्र प्रदेश आजकल नक्सली समस्या से झूज रहा है और कई लोग मारे जा चुके है ।
पर इन बाबूज़ को कौन समझाए । इनका क्या जा रहा है । प्रोटोकोल ज्यादा जरूरी है ।
एक्जैक्टली ।।
2 Comments:
At 5:35 pm, आलोक said…
ये तो वही आईएऍस बनाम आईपीऍस है। आईएऍस वालों को मौका मिल गया आईपीऍस वालों की बत्ती लगाने का, सो लगा दी।
ज़रूरी जिसको धक्का मारा वो भी आईएऍस होगा - लिखा है कि वो कौन था?
वैसे राष्ट्रपति से हाथ मिलाने के लिए इतनी उत्सुकता? कोई बिपाशा/मल्लिका होती तो समझ आता पर ये क्या?
At 6:29 pm, Jitendra Chaudhary said…
ये तो वही बात हुई।
सूत ना कपास,जुलाहों मे लट्ठम लट्ठा।
या फ़िर...
तू कौन? खामखां
क्यो पिले? बस ऐसे ही हाबी है।
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