ई-लेखा

जाल मंच पर ई-लेख प्रकाशन का दूसरा प्रयास ।

Wednesday, February 16, 2005

ब्लैक

कल रात को ब्लैक पिक्चर देखी। ऑस्कर के लायक है।
सुझाव दूँगा कि सिनेमा हॉल में ही देखें। एक एक दृश्य नायाब है।
खामोशी, ह.दि.दे.चु.स, देवदास और अब ब्लैक, सचमुच भंसाली बिमल रॉय और गुरूदत्त की श्रेणी के निर्देशक हैं ।

1 Comments:

  • At 8:10 pm, Blogger Sagar Chand Nahar said…

    सही कहते हैं आप, परन्तु इतनी उम्दा फ़िल्म ओस्कार के लायक नही समझी गयी, बडा दुख हुअ, पता नहीं कैसे बेवकूफ़ लोग भरे पडे है, जिन्होने "पहेली " जैसी फ़ालतु फ़िल्म को ओस्कार के लिये पसन्द किया, परिणाम हमारे सामने है, अगर "ब्लैक" को भेजा जाता तो अवश्य ओस्कार लेकर आती.

     

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