किसना - ना रे ना
यहाँ मोहाली में ठंड काफी हो गई है । कहीं घूमने नहीं जा सकते ।
सोचा क्यूँ ना फिल्म देखी जाए !
श्रीमती जी भी काफी दिनों से रट लगाएँ हुईं थी। सोचा एक पंथ दो काज वाली बात हो जाएगी ।
तो पिकाडिली सिनेमा घर में 3-6 का शो देखने चले गए। नयी पिक्चर "किसना" रिलीज हुई थी।
बिग बैनर सुभाष घई की पिक्चर थी तो काफी आशाएँ थी । पर सारी की सारी धूमिल हो गईं ।
इतनी अझेल थी कि हम तो खत्म होने से आधा घंटा पहले ही हाँल से बाहर आ गए ।
श्रीमती जी का गुस्सा देखते ही बनता था - कहने लगीं अगर घई महाशय कहीं मिल जाएँ तो दो कान के नीचे लगा कर पूछेंगे, क्या सोच कर ये बंडल बनाया ।।
किसना - ना रे ना
सोचा क्यूँ ना फिल्म देखी जाए !
श्रीमती जी भी काफी दिनों से रट लगाएँ हुईं थी। सोचा एक पंथ दो काज वाली बात हो जाएगी ।
तो पिकाडिली सिनेमा घर में 3-6 का शो देखने चले गए। नयी पिक्चर "किसना" रिलीज हुई थी।
बिग बैनर सुभाष घई की पिक्चर थी तो काफी आशाएँ थी । पर सारी की सारी धूमिल हो गईं ।
इतनी अझेल थी कि हम तो खत्म होने से आधा घंटा पहले ही हाँल से बाहर आ गए ।
श्रीमती जी का गुस्सा देखते ही बनता था - कहने लगीं अगर घई महाशय कहीं मिल जाएँ तो दो कान के नीचे लगा कर पूछेंगे, क्या सोच कर ये बंडल बनाया ।।
किसना - ना रे ना
1 Comments:
At 3:51 pm, आलोक said…
बहुमूल्य जानकारी देने के लिए धन्यवाद। वैसे मर्डर के बाद से एक भी हिन्दी फ़िल्म नहीं देखी है।
Post a Comment
<< Home