ई-लेखा

जाल मंच पर ई-लेख प्रकाशन का दूसरा प्रयास ।

Monday, April 17, 2006

आपका स्कोर क्या है ।

क्या 36-24-36 कम था जो ये आ गया ।
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Thursday, April 13, 2006

वही पुरानी बात

क्या भगवान पुरुष है या स्त्री ?रश्मी जी क्या कहती हैं <पढिए>; (अंग्रेजी ब्लाग है)

आरक्षण

भारत में रहना अब और भी चैलेंचिंग होने वाला है ।
सरकार अब शिक्षण संस्थाओं में 50 प्रतिशत आरक्षण करने वाली है ।
तो अब हमारे छोटे भाई बहन जो जी तोड मेहनत कर रहे हैं, मूर्ख हैं ।
क्योंकि कोई उससे कम योग्य होते हुए भी जाति के आधार पर प्रवेश पा लेगा ।

क्या ये करने से देश व समाज का भला होगा ?
या जातिवाद, घूसघोरी को बढावा मिलेगा ।
यह कदम सिस्टम को मजबूत करेगा या उसे और कमजोर करेगा ?

मेरा मानना है कि जिनके पास साधन नहीं है पर प्रतिभा है, उन्हें साधन प्रदान किए जाने चाहिए, चाहे वो किसी भी जाति के हों । पर परीक्षा में चयन सिर्फ योग्यता पर होना चाहिए ।
मतलब सरकार व समाज पढाई के लिए जो हो सकता है करे, ट्यूशन फीस माफ करे, किताबों का इन्तजाम करे, कोचिंग की व्यवस्था करे और एक ऐसा सहयोग दे कि साधनाभाव का एहसास न हो ।


आप क्या सोचते हैं ?

Tuesday, April 04, 2006

विदेश का चस्का

मित्रों,
हम लोगों में विदेश का जो चस्का है, वो देखते ही बनता है।
घर परिवार, जान पहचान में कहीं भी कोई अगर विदेश जाता है तो चर्चा और आदर का पात्र बन जाता है।

मेरे ससुराल पक्ष से एक व्यक्ति 1 हफ्ते के लिए बाहर क्या हो आया, बस पूछो मत ।
जब भी घर में कोई बात हो, तो वहाँ का जिक्र जरूर ।
जैसे वहाँ तो कपडे धोने के लिए मशीनें ही मशीने, कोई खुद धोता ही नहीं और लहजा ऐसे जैसे कि जब तक कपडे उसी तरह से धुल न जाँए, जैसे कि बाहर होता है, उसे पहनना शर्म की बात है।

किसी दोस्त का लडका बाहर चला जाए तो पिताजी रोज उसकी चर्चा नित्यकर्म माफिक करें ।
चाहे खुद का लडका, सेवा कर के थक जाए ।

ये हीन भावना जाने कब जाएगी ..