मित्रों,
हम लोगों में विदेश का जो चस्का है, वो देखते ही बनता है।
घर परिवार, जान पहचान में कहीं भी कोई अगर विदेश जाता है तो चर्चा और आदर का पात्र बन जाता है।
मेरे ससुराल पक्ष से एक व्यक्ति 1 हफ्ते के लिए बाहर क्या हो आया, बस पूछो मत ।
जब भी घर में कोई बात हो, तो वहाँ का जिक्र जरूर ।
जैसे वहाँ तो कपडे धोने के लिए मशीनें ही मशीने, कोई खुद धोता ही नहीं और लहजा ऐसे जैसे कि जब तक कपडे उसी तरह से धुल न जाँए, जैसे कि बाहर होता है, उसे पहनना शर्म की बात है।
किसी दोस्त का लडका बाहर चला जाए तो पिताजी रोज उसकी चर्चा नित्यकर्म माफिक करें ।
चाहे खुद का लडका, सेवा कर के थक जाए ।
ये हीन भावना जाने कब जाएगी ..