ई-लेखा

जाल मंच पर ई-लेख प्रकाशन का दूसरा प्रयास ।

Saturday, October 07, 2006

अगर तुम मिलने आ जाओ

मुझे गम है कि मैने ज़िन्दगी मे कुछ नहीं पाया
यह गम दिल से निकल जाये, अगर तुम मिलने आ जाओ
यह दुनिया भर के झगड़े, घर के किस्से, काम की बातें
बला हर एक टल जाये, अगर तुम मिलने आ जाओ

- जावेद अख्तर

यहाँ से ढापा

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