ई-लेखा

जाल मंच पर ई-लेख प्रकाशन का दूसरा प्रयास ।

Monday, August 07, 2006

जे एन यू के मामू

क्या आप जे एन यू के मामू से मिलेंगे ।।

1 Comments:

  • At 11:39 am, Blogger Srijan Shilpi said…

    मामू जेएनयू में हमारे मित्रों में से रहे हैं। हमलोग उनकी पाककला और शेरो-शायरी के वर्षों से कायल रहे हैं। हालाँकि पाककला के मामले में मामी का योगदान कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। मामू का ढाबा मामी की बदौलत ही चलता है।

     

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